महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। पुरे साल में आने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि का महत्व सबसे ज्यादा माना गया है। भारतवर्ष के साथ साथ पूरा विश्व महाशिवरात्रि के पावन पर्व को बहुत ही उत्साह के साथ मनाता है।

महाशिवरात्रि के पर्व से बहुत सी पौराणिक कथाएं हैं
1. हिन्दू पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था।
2. आज के दिन सुमद्र – मंथन के दौरान अमृत के साथ साथ हलाहल नाम का विष भी समुद्र से पैदा हुआ जो की पुरे ब्रह्माण्ड का सर्वनाश करने में सक्षम था। भगवान शिव के सिवा और कोई इसे नष्ट नहीं क्र सकता था। भगवान शिव ने हलाहल विष को अपने कंठ में बसा लिया जिस कारण से उनका एक और नाम नीलकंठ भी पुकारा जाता है। जब चिकित्सकों ने देवताओं से कहा के किसी भी कारण से भगवान शिव पूरी रात सो ना पाएं तब उन्हें जगाए रखने के लिए देवताओं ने पूरी रात अलग – अलग संगीत और नृत्य में गुज़ार दी। जिससे प्रसन्न होकर अगली सुबह भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया। दुनिया को ऐसी विपत्ति से बचाने के कारण भगवान शिव के भक्त इस दिन व्रत रखते है जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।
3. महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव पहली बार अग्नि ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिसका ना कोई आदि है और ना ही कोई अंत। शिवलिंग के बारे में जानने के लिए स्वयं भगवान ब्रह्मा ने हंस के रूप में व भगवान विष्णु ने वराह के रूप में उसका ऊपरी भाग व आधार ढूँढना शुरू किया परन्तु वे दोनों भी असफल रहे।

पुराणों के अनुसार निम्न सामिग्रीयों का पूजा में होना आवश्यक है :-
1. शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक व बेर या बेल के पत्ते।
2. सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है।
3. फल, जो इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं;
4. जलती धूप, अनाज
5. दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है;
6. पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।
अभिषेक में निम्न वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है:-
1. तुलसी के पत्ते
2. हल्दी
3. चंपा और केतकी के फूल
हमारी तरफ से आप सभी को महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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