हनुमान जी की पूजा से एकाग्रता, बल, साहस प्राप्त होता है। हनुमान जी का पूजन शनि की महादशा से भी बचाता है।

- हनुमान जी हिन्दुओं के सबसे ज्यादा पूजनीय भगवानों में से एक हैं।
- भगवान हनुमान की भक्ति सबसे लोकप्रिय है।
- महाकाव्य रामायण में हनुमान जी सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
- मान्यता है की वे भगवान शिव के 11वें अवतार हैं।
- वे सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं।
- शनि की प्रचंड नज़र से बचने के लिए हनुमान जी का पूजन किया जाता है।
- भगवान हनुमान वानर राज केसरी तथा अंजना के पुत्र थे।
- हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था।
- उनका शरीर एक बज्र की तरह था इसीलिए उन्हें बजरंगबली भी कहा जाता था।
- पवन पुत्र के नाम से भी वे विख्यात थे।
हनुमान जी से जुड़ी हुई प्रचलित गाथाएँ :-
- बाल रूप में हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में गए और अपने मुँह में समा लिया।
- हनुमान जी ने श्री राम के साथ सुग्रीव की मित्रता कराई।
- हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ।
- वे उन महारथियों में से एक हैं जिन्हें इस धरा पर अमरत्व का वरदान प्राप्त है।
वरदान – किसने और क्या :-
एक दिन माता अंजनी फल लाने के लिये हनुमान जी आश्रम में छोड़कर चली गईं। हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में गए। उनकी सहायता के लिये वायु भी बहुत तेजी से चलने लगी। सूर्य देव ने भी उन्हें बालक समझकर छोड़ दिया व अपने तेज का प्रभाव उन पर नहीं पड़ने दिया। उस समय राहू सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। परन्तु हनुमान जी के स्पर्श से वह भय से भाग कर सीधा देवराज इंद्र के पास पहुंचे।
राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे।यह देख इंद्र देव ने हनुमानजी पर वज्रायुध से प्रहार किया जिससे वे पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठोड़ी टूट गई।यह देख कर पवन देव को अंत्यंत क्रोध आया। परिणाम स्वरुप उन्होंने अपनी गति पर विराम लगाया, संसार की कोई भी प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब ब्रह्मा जी ने वहाँ पहुंच कर हनुमान जी को जीवित किया। तब वायुदेव ने अपनी पुन: वायु का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की।

तब ब्रह्माजी ने हनुमान जी को वरदान दिया कि कोई भी शस्त्र उनके शरीर के किसी भी अंग को हानि नहीं पहुँचा सकता।
इन्द्र देव ने वरदान दिया कि हनुमान जी शरीर वज्र से भी कठोर होगा।
सूर्यदेव ने वरदान दिया कि वे उसे अपने तेज जैसा तेज उन्हें प्रदान करेंगे तथा शास्त्र ज्ञानी होने का भी आशीर्वाद दिया।
वरुण ने वरदान दिया कि उनके पाश और जल से वह सदा सुरक्षित रहेंगे।
यमदेव ने अमर और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया।
नाम व रूप रेखा :-
- देवराज इन्द्र ने उन्हें नाम दिया – हनुमान।
- इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है – बजरंग बली, मारुति, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, शंकर सुवन आदि।
- हनुमान जी के मस्तक पर स्वर्ण मुकुट है
- उनका शरीर स्वर्ण आभुषण से सजा रहता है।
- हनुमान जी मात्र एक लंगोट में रहते है।
- बज्र जैसा शरीर।
- लम्बी पूँछ।
- उनके एक में गदा (मख्य अस्त्र) विराजमान रहता है।
पंचमुखी रूप :-

मरियल नाम का एक दानव ने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुराया था, यह बात जब हनुमान जी को पता चली, तब वह निश्चय करते हैं कि कैसे भी वह सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को वापस करवाएँगे।
मरियल इच्छानुसार रूप बदल सकता था, तब भगवान विष्णु ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया तथा वायु की शक्ति के साथ गरुड़ मुख, भय उत्पन्न करने वाले नरसिंह मुख, ज्ञान प्राप्त करने के लिए हयग्रीव मुख तथा सुख व समृद्धि के लिए वराह मुख प्रदान किया। पार्वती जी ने उन्हें कमल पुष्प एवं यमराज ने उन्हें पाश नामक अस्त्र प्रदान किया। सभी आशीर्वाद व शक्तियों के साथ हनुमान जी ने मरियल पर विजय प्राप्त की। तभी से उनके इस पंचमुखी स्वरूप को भी मान्यता प्राप्त हुई।
श्री राम के नाम के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी है। अत: हनुमान जी की पूजा का फल तभी प्राप्त होगा जब साथ में श्री राम के नाम का जाप होगा।
हनुमान जी का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था। अत: मंगलवार के दिन बजरंबली की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है।
पाठ :-
- हनुमान चालीसा
- हनुमान जी की आरती
- बजरंग बाण
- हनुमानाष्टक
- श्री राम स्तुति
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3 Responses
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